पेशाब कांड-पुस्तैनी मकान पर बुलडोजर चलाना प्रजातांत्रिक मूल्यों का हनन- उदय कमल मिश्र
सीधी 09 जुलाई
सीधी के पेशाब कांड के बाद अपराधी पुत्र के अपराध की सजा बिना जांच के माता-पिता एवं परिवार जन को देना किसी भी दृष्टिकोण से न्याय संगत नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता उदय कमल मिश्र ने अपनी प्रतिक्रिया में व्यक्त किया है कि प्रवेश शुक्ला के द्वारा किया गया कृत्य सभ्य समाज में किसी भी दृष्टिकोण से स्वीकार योग्य नहीं है, कठोर शब्दों में निन्दा करनी चाहिए लेकिन इस अप्रिय घटना को जिस तरह से राजनैतिक दलों ने तूल दिया वह भी स्वीकार योग्य नहीं है। म.प्र. में प्रजातांत्रिक मूल्यों द्वारा निर्वाचित सरकार है जो संविधान में निहित प्रावधानों का पालन करने की शपथ ली है लेकिन उक्त सरकार ऐसे संवेदनशील प्रसंगों में कानून पर विश्वास न कर सीधे बिना जांच के पुत्र के अपराध की सजा उसके माता-पिता एवं परिवार जन को दें यह विधि संगत नहीं है।
प्रदेश की निर्वाचित सरकार यदि संविधान या कानून का पालन नहीं करेंगी तो प्रदेश के नागरिकों से कैसे अपेक्षा किया जा सकता है कि वे संविधान एवं कानून का पालन करें।
मिश्र ने व्यक्त किया है कि जिस तरह से प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश से प्रवेश शुक्ला की गिरफ्तारी के बाद भी उसके पुस्तैनी मकान जो उसके माता-पिता द्वारा निर्मित किया गया था जिसमें उसकी दादी, माता, पिता, पत्नी, बहन एवं बच्चे निवास करते थे इस श्रावण मास में बुलडोजर चला कर गिरा दिया, इससे परिलक्षित होता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी को न्यायालय एवं उसकी न्याय प्रणाली पर विश्वास नहीं है।
इस घटनाक्रम पर यदि आदिवासी दसमत रावत के द्वारा दिए गए इंटरव्यू को देखा जाय तो कहा गया है कि पेशाब जिसके ऊपर किया जा रहा है वह मैं नहीं हूं इतना ही नहीं दसमत रावत के द्वारा यह भी व्यक्त किया गया उसके द्वारा आरोपी प्रवेश शुक्ला के विरुद्ध कोई रिपोर्ट नहीं किया और न ही उनसे कोई शिकायत है।इन सब परिस्थितियों के बाद भी प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने बोट बैंक की राजनीति एवं कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं के दबाव में गैर कानूनी कार्यवाही कर आरोपी प्रवेश शुक्ला के पुस्तैनी मकान को गिराकर उसके परिजनों को इस बरसात में खुलें आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर कर दिया गया।
2020 में घटित इस अप्रिय घटना के संदर्भ में यदि जांच की जाय तो निम्नांकित बिंदू उभर कर सामने आंतें है। 2020 में किन परिस्थितियों में आरोपी प्रवेश शुक्ला एवं दसमत रावत ने सार्वजनिक स्थल पर शराब पी, इन दोनों ने सार्वजनिक स्थल पर शराब स्वेच्छा से पिया या दबाव देकर शराब पिलाई गई, इस अप्रिय घटना को दबाव में किया गया या स्वेच्छा से, विडियो बनाने वाले का उद्देश्य क्या था और कौन-कौन थें, 2020 की इस घटना का वीडियो पुलिस को क्यों नहीं दिया गया। 2020 की घटना का वीडियो वर्तमान में सोशल मीडिया में किस प्रयोजन के लिए भेजा गया, इसके अतिरिक्त भी हर आवश्यक बिन्दुओं की जांच भी की जानी चाहिए।
श्री मिश्र ने व्यक्त किया है कि म.प्र. में वर्तमान समय में ब्राह्मणों के ऊपर उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं, ब्राह्मणों के साथ दलित समुदाय के लोगों ने अमर्यादित कृत्य किया लेकिन म.प्र. के मुख्यमंत्री जी का बुलडोजर उन अपराधी दलितों के घर पर नहीं चला। ऐसी परिस्थितियों में क्या यह माना जाना चाहिए कि म.प्र. में ब्राह्मण विरोधी बुलडोजर सरकार है?
प्रवेश शुक्ला के पुस्तैनी मकान में बुलडोजर चलाने के पूर्व सीधी जिले के चुरहट क्षेत्र में रिंकू शुक्ला के घर पर भी बुलडोजर चला था उस समय भी रिंकू शुक्ला का परिवार खुलें आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर हुआं था। इतना ही नहीं जब जनवरी 2019 में चुरहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ चिकित्सक डॉ शिवम मिश्रा ने दलितों एवं अन्य सहकर्मियों की प्रताड़ना से आत्म हत्या कर लिया था उस समय मुख्यमंत्री जी का बुलडोजर कहां था। सीधी जिले के मझौली थाना के अंतर्गत ब्राह्मण महिला की हत्या दलित ने कुछ माह पूर्व कर दी लेकिन यहां भी मुख्यमंत्री जी का बुलडोजर नहीं चला। शिवपुरी जिले के निवासी विकास शर्मा को दलितों ने पेशाब पिलाया जिसके कारण ब्राह्मण युवक अपमान सहन नहीं कर सका, सुसाइड नोट लिख कर आत्म हत्या कर लिया उस समय मुख्यमंत्री जी का बुलडोजर कहां था। इतना ही नहीं समाचार पत्र के माध्यम से ज्ञात हुआ कि मुख्यमंत्री जी के गृह जिले विदिशा में भाजपा नेता की हरकत से ब्राह्मण बेटी ने आत्म हत्या किया जब पिता लंबे समय तक हत्या के लिए मजबूर कराने वाले भाजपा नेता के विरुद्ध कार्यवाही कराने में नाकाम रहा तो स्वयं आत्म हत्या कर लिया उस समय मुख्यमंत्री जी का बुलडोजर कहां था।
मिश्र ने यह भी व्यक्त किया है म.प्र. के मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर प्रवेश शुक्ला के पुस्तैनी मकान पर बुलडोजर चलाने की कार्यवाही पर भाजपा के कद्दावर नेता मौन है लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेताओं ने जिस तरह से अनशन बैठकर, चैलेंज देकर ब्राह्मण परिवार के मकान पर इस श्रावण मास में बुलडोजर चलाने के लिए दबाव बनाया किसी भी भांति उचित नहीं है और यह माना जाना चाहिए कि म,प्र,के मुख्यमंत्री जी के ब्राह्मणों के विरुद्ध बुलडोजर नीति का विपक्ष अर्थात कांग्रेस पार्टी भी समर्थन करती है। जहां तक सीधी जिले के पूर्व के राजनितिज्ञो के संदर्भ में विचार करें तो जिले के सर्वमान्य जनप्रिय नेताओं में स्वर्गीय चन्द्र प्रताप तिवारी, स्वर्गीय कुंवर अर्जुन सिंह जी एवं स्वर्गीय इन्द्रजीत कुमार पटेल का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है क्योंकि इन तीनों महारथियों ने लंम्बी राजनैतिक पारी खेली लेकिन कभी भी इस तरह कि अप्रासंगिक, अमर्यादित, संविधान या कानून के विरुद्ध की घटनाओं का समर्थन बोट बैंक के लिए नहीं किया वरन जिले में सामाजिक सद्भाव एवं सामंजस्य स्थापित करने में पूरा ध्यान दिया।
मिश्र ने यह भी व्यक्त किया कि प्रदेश में जिस तरह से ब्राह्मणों को उपेक्षित किया जा रहा है ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि ब्राह्मण दोयम दर्जे का नागरिक हो गया है इस कारण ब्राह्मणों में भय का माहौल है। कांग्रेस ने नारा दिया था देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का लेकिन वर्तमान में जो परिस्थितियां है उससे ऐसा आभास हो रहा है कि भाजपा ने अघोषित रूप से यह तय किया है कि प्रदेश के संसाधनों पर पहला हक हरिजन आदिवासियों का, लेकिन इन सब के बाद शेष समुदाय क्या करें।
सीधी पेशाब कांड में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के इस बोट बैंक के राजनैतिक खेल में ब्राह्मण परिवार ही पराजित हुआ, आश्चर्य तब हुआ जब कांग्रेस एवं भाजपा के किसी ब्राह्मण जनप्रतिनिधि, नेता या कार्यकर्ता ने प्रवेश शुक्ला के पुस्तैनी मकान पर बुलडोजर चलाने की अप्रासंगिक कार्यवाही का विरोध किया हों। यहां यह स्पष्ट किया जा रहा है कि दोनों दलों के ब्राह्मण जनप्रतिनिधियों एवं नेताओं को इसीलिए टिकट दिया जाता है कि इन्हें बहुसंख्यक ब्राह्मण समुदाय का समर्थन प्राप्त है लेकिन दुर्भाग्य से निर्वाचित होने के बाद ब्राह्मण समुदाय के जनप्रतिनिधियों की दृष्टि ब्राह्मणों का उत्थान के लिए गौर हो जाता है।इस संदर्भ में पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने ब्राह्मण समाज के सम्मेलन में व्यक्त किया था कि जब भी ब्राह्मण समुदाय के जनप्रतिनिधियों को अवसर मिला उन्होंने ब्राह्मण समाज के उत्थान के लिए नहीं सोचा, ब्राह्मण समाज के जनप्रतिनिधियों ब्राह्मण समाज के हित करने के बजाय स्वयं के हित को सर्वोपरि माना इसी कारण ब्राह्मणों का उत्थान नहीं हो रहा है और यह समाज उपेक्षित है।