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कलेक्टर ने दिलाई लाइफ मिशन की प्रतीज्ञा

पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ाने मिट्टी से बने बर्तनों तथा पत्तों से बने दोना पत्तल का करें उपयोग – कलेक्टर

सीधी-विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में कलेक्टर साकेत मालवीय एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी सीधी राहुल नामदेव धोटे की उपस्थित में समय-सीमा बैठक के दौरान उपस्थित सभी जिला स्तरीय विभागीय अधिकारियों को लाइफ मिशन प्रतीज्ञा की शपथ दिलाई गई। इस कार्यक्रम के दौरान क्षेत्रीय कार्यालय म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रीवा से एस.डी.बाल्मीक, कार्यपालन यंत्री व सीधी जिला प्रभारी एम.पी. तिवारी उपयंत्री उपस्थित रहे।

एनआईसी केन्द्र सीधी में म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं इफको भोपाल द्वारा भोपाल में आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया। कलेक्टर सहित उपस्थित अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान के उद्बोधन एवं पर्यावरण संरक्षण हित में दिये गये दिशा-निर्देशों का अनुश्रवण किया गया। इस कार्यक्रम में सीधी जिले के जनअभियान परिषद के समन्वयक शिवदत्त उरमलिया सहित उनकी टीम एवं अन्य स्वयंसेवी संगठन उपस्थित रहे। कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों तथा जन अभियान परिषद के समन्वयक को निर्देशित किया कि स्थानीय स्तर पर मिट्टी के बर्तन निर्माताओं को चिन्हित कर मिट्टी के गिलास, कटोरी व कटोरे का निर्माण करने को प्रेरित किया जाय। ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में सिंगल यूज प्लास्टिक व उससे निर्मित अन्य सामग्री को पूर्णतः प्रतिबन्धित कर मिट्टी से निर्मित ऐसे कुल्हड़ों का उपयोग किया जा सके। साथ ही यह भी निर्देशित किया गया कि सभी विभागों में आयोजित बैठकों व अन्य कार्यक्रमों में सिर्फ मिट्टी से निर्मित इसी तरह के कुल्हड़ों का उपयोग किया जाये, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर इन कुल्हड़ों का निर्माण एवं खपत प्रचुर मात्रा में हो सके। आज की वर्चुअल मीटिंग के दौरान कलेक्टर द्वारा मिट्टी से बने कुल्हड़ों का उपयोग कर नवाचार की शुरूआत की गई एवं जिले के समस्त नागरिकों से अपील की गई है कि छोटे-बड़े कार्यक्रम में सिंगल यूज प्लास्टिक उससे निर्मित अन्य डिस्पोजल सामग्री गिलास, कटोरी, थाली इत्यादि का उपयोग बन्द कर सिर्फ और सिर्फ मिट्टी से निर्मित कुल्हड़ों, पत्तल से बने दोना थाली का उपयोग किया जाए। वृक्षारोपण हेतु शहरी क्षेत्र में पर्याप्त भूमि चिन्हित कर मानसून सत्र में लगभग 5 हजार पौधों के रोपण करने का लक्ष्य दिया गया है।

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