भावी पीढ़ी के लिए पानी की आपूर्ति जल संरक्षण से ही संभव- राजेंद्र भदौरिया
जल प्रकृति द्वारा मानवता के लिए एक अमूल्य उपहार है जिसके कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। भारत और अन्य देशों में लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं जबकि पृथ्वी का तीन-चौथाई हिस्सा पानी से घिरा हुआ है। जल संरक्षण के बिना हमें भावी पीढ़ी के लिए पानी की उचित आपूर्ति बनाए रख पाना संभव नहीं है। हमें पानी की बर्बादी रोकनी चाहिए, पानी का सही उपयोग करना चाहिए। यह विचार स्वच्छता पखवाड़े के दौरान प्रशिक्षण केंद्र टिकरी में जल संरक्षण पर आधारित कार्यक्रम एवं प्रमाण पत्र वितरण के दौरान मुख्य अतिथि पूर्व जिला सहकारी केंद्रीय बैंक अध्यक्ष राजेंद्र भदौरिया ने व्यक्त किया।
कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में विशिष्ट अतिथि ने कहा कि पृथ्वी पर हर चीज और सभी जीवन रूपों को पानी की आवश्यकता होती है। स्वच्छ जल जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। इसलिए भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हमें जल संरक्षण की आवश्यकता है। यदि हम पानी बचाते हैं, तो हम पूरी दुनिया और पृथ्वी पर जीवन बचाते हैं। हमें पानी की आवश्यकता के अनुसार ही इसका उपयोग करने का संकल्प लेना चाहिए।
प्रतिभागियों को संबोधित कराते हुये कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सीधी जिला पंचायत सदस्य नीता कोल ने कहा कि पानी बचाना एक अच्छी आदत है और हर किसी को पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए
पना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए। कुछ साल पहले कोई दुकान पर पानी नहीं बेचता था, हालाँकि अब समय इतना बदल गया है और अब हम देख सकते हैं कि शुद्ध पानी की बोतल हर जगह बिक रही है।
पानी बचाने एवं जल संरक्षण के कुछ तरीको के बारे में जानकारी देते हुये विशिष्ट अतिथि पूर्व जिला पंचायत सदस्य आनंद सिंह शेर ने कहा कि पानी के अधिक प्रयोग से भी बचना, कम पानी वाले शौचालय का उपयोग करना, शॉवर की जगह बाल्टी और मग का प्रयोग, नल को ठीक से बंद करना , जागरूकता फैलाने के लिए हमें जल संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों को बढ़ावा देना वृक्षारोपण आदि कुछ ऐसे दैनिक तरीके हैं जिन्हे अपना कर पानी की बचत की जा सकती है साथ ही शोखता गड्ढा कूप तालाब एवं बावली आदि संरचनाओं के निर्माण को बढ़ावा देकर भी हम वर्षा जल को संरक्षित कर सकते हैं।
संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को सफल आयोजन में संस्थान के सहायक कार्यक्रम अधिकारी राकेश सिंह, संतोष कुमार केवट, स्वच्छता पखवाड़ा प्रभारी रेखा सिंह, अर्चना मिश्रा, सतेन्द्र केवट, रविराज कोरी तथा संस्थान से जुड़े प्रशिक्षणार्थियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही।