विकास की राह में पिछड़ रहा सिंगरौली
सिंगरौली: सिंगरौली जिला प्रदेश की ऊर्जा धानी के रूप में विशिष्ट पहचान बना चुका है सिंगरौली मध्य प्रदेश का कोयला और बिजली के रूप में ऊर्जा की आपूर्ति का महत्वपूर्ण केंद्र है जिला बनने के बाद सिंगरौली का जिस गति से विकास होना चाहिए था वह विकास नहीं हो पा रहा है वही हम बात करें सिंगरौली जिले में विभिन्न सुविधाओं की तो अभी जिले में दरकार है कई विकास कार्यो की परंतु जिले के जिम्मेदार सहित जनप्रतिनिधि संबंधित मामले में कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं। सिंगरौली जिला भले ही प्रदेश सरकार के राजस्व खजाने को भर रहा है परंतु सिंगरौली जिला विकास कार्यों की राह देख रहा है वह उस के नसीब में ही नहीं। किसी भी क्षेत्र का विकास तभी संभव है जब वहां पर बेहतर कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध हो।
विभिन्न समस्याओं से घिरा सिंगरौली जिला
हम बात करें यदि सिंगरौली जिले की तो यहां पर सड़क रेल एवं हवाई मार्ग की कनेक्टिविटी को लेकर अब तक कोई ठोस पहल होती नजर नहीं आ रही है बल्कि जिले में उपलब्ध संसाधनों का जिस तरह से दोहन किया जा रहा है वह यहां के विकास कार्यों की गति की अपेक्षा में बेहद कम है। कनेक्टिविटी के बाद यदि हम सिंगरौली जिले में उपलब्ध संसाधनों एवं सुविधाओं की बात करें तो इसमें भी सिंगरौली जिले के हालात कुछ अच्छे नजर नहीं आते हैं दरअसल सिंगरौली जिले में यदि हम शिक्षा पर बात करें तो उपलब्ध संसाधनों में उच्च शिक्षा के मामले में वर्तमान में कोई भी इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित नहीं है ना ही मेडिकल कॉलेज संचालित है प्रोफेशनल कोर्सेस को लेकर आज भी विद्यार्थियों को अच्छे कॉलेज की तलाश में बड़े एवं अन्य शहरों का रुख करना पड़ रहा है। वही हम बात करें सिंगरौली जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की तो स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में भी सिंगरौली जिला अपना कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं रखता है दरअसल आज जिले में औद्योगिक इकाइयों के ही अस्पताल स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में थोड़ी बहुत सुविधा अपने पास रखते हैं अधिकतर मामलों में स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर लाभ को लेकर आज भी जिले वासियों को अन्य शहरों का ही सहारा लेना पड़ता है। जैसा कि सभी को ज्ञात है कि सिंगरौली जिला औद्योगिक इकाइयों का एक बड़ा केंद्र है जिले में कई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को लेकर एक तरफ जहां किसानों की जमीन ले ली गई विस्थापन का दंश झेलने वाले किसान आज भी विस्थापन संबंधी मामलों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय सहित कंपनियों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं वह सिंगरौली में कई परिवार ऐसे भी हैं जो कि एक बार नहीं कई बार विस्थापन का दंश झेल चुके हैं ठीक इसके विपरीत कंपनियों के द्वारा विस्थापितों को मिलने वाली सुविधाओं एवं क्षेत्र विकास को लेकर भी बेहतर कार्य नहीं कर सके हैं कंपनियां लगातार सामाजिक विकास के दावे कर रही हैं। जिले के विकास की बात हो एवं रोजगार की बात ना हो ऐसा हो नहीं सकता सिंगरौली जिला भले ही कई दर्जन अपने अंदर औद्योगिक इकाइयों को समाहित किए हुए हैं परंतु सिंगरौली जिले में रोजगार के हालात कुछ अच्छे दिखाई नहीं पड़ते हैं दरअसल जिले में कार्य करने वाली कंपनियों अनीस शायद बेरोजगारों को काम देना मुनासिब नहीं समझा कोयला खदानों में ओवरबर्डन का कार्य करने वाली कंपनियां अपने साथ सैकड़ों मजदूरों को बाहर से लेकर ही आती है वहीं स्थानीय जनों को रोजगार देने के नाम पर कंपनियों के द्वारा भेदभाव का आरोप था। इसके साथ ही कई मामले ऐसे भी निकल कर आए हैं जहां पर जिले के स्थानीय बेरोजगारों को नौकरी के एवज में पैसे तक चुकाने पड़े हैं एवं युवा ऐसे ठगों का शिकार लगातार बनते जा रहे हैं रोजगार के नाम पर पैसे लिए जाने की प्रथा अब जोर पकड़ने लगी है।
प्रदूषण सिंगरौली जिले की एक प्रमुख समस्या
प्रदूषण के कारण सिंगरौली जिले का बुरा हाल होने लगा है एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो जिले की वायु में प्रदूषक तत्वों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है विभिन्न समस्याओं से गिरे सिंगरौली में प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुका है। सिंगरौली जिले में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण एक तरफ जहां आमजन विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं । विस्थापन बेरोजगारी प्रदूषण जैसे विभिन्न मुद्दों को झेलने वाले सिंगरौली वासियों की विभिन्न समस्याओं को लेकर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई भी ठोस कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं यदि समय रहते यह कदम उठा लिए जाते तो आज सिंगरौली जिले के हालात एवं तस्वीर कुछ और ही होती।
डीएमएफ एवं सीएसआर मिलकर भी नहीं कर पा रहे हैं विकास
औद्योगिक नगरी सिंगरौली अपने औद्योगिक गतिविधियों एवं माइनिंग गतिविधियों के लिए विख्यात है मानिक गतिविधियों के कारण डिस्टिक माइनिंग फंड एवं औद्योगिक इकाइयों के सीएसआर फंड को मिला लिया जाए तो लगभग हजारों करोड़ रुपए जिले में मौजूद होता है परंतु संबंधित मध्य का सही प्रयोग ना होने के कारण जिले में विकास कार्य को गति नहीं मिल पा रही है एक तरफ जहां सीएसआर सहित डीएमएस फंड से जिले का विकास किया जा सकता था परंतु देखने में आया है कि अब सीएसआर सहित पेमेंट का उपयोग अन्यत्र जगहों के लिए किया जाने लगा है।