डिग्री कॉलेज के प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की उठने लगी मांग
सिंगरौली-गिनती भर के कमरों में जिला मुख्यालय बैढऩ सहित अन्य नगर, कस्बों में संचालित निजी डिग्री कॉलेजों के मान्यता एवं संचालन को लेकर मामला काफी गरमाने लगा है। उक्त कॉलेजों के निरंतरता संचालन करने का सत्यापन करने वाले अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य पर ही कार्रवाई किये जाने की मांग शुरू हो गयी है।
गौरतलब हो कि जिला मुख्यालय बैढऩ के शासकीय डिग्री कॉलेज के चंद कदम दूर हाइटेक इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्रिकल एजुकेशन, आशा डिग्री कॉलेज एवं आईजी गु्रप ऑफ डिग्री कॉलेज संचालित हैं। जबकि इनकी मान्यता उच्च शिक्षा विभाग के पोर्टल एवं बेवसाइट में ग्रामीण अंचलों का पता उल्लेख है फिर जिला मुख्यालय में इनका संचालन क्यों हो रहा है। फिर शासकीय अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा कॉलेजों के निरंतरता संचालन का सत्यापन कैसे कर दे रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि प्राचार्य एवं उक्त कॉलेजों के बीच बेहतर तालमेल है और उन्हीं के संरक्षण में कई प्राइवेट कॉलेज इस तरह का खेल खेल रहे हैं।
इतना हीं नहीं जिन भवनों में डिग्री कॉलेज संचालित हैं निर्धारित भूमि का रकवा एवं पर्याप्त भवन नहीं हैं। फिर इन सब कमियों के बावजूद प्राचार्य के द्वारा क्यों सत्यापन कर दिया गया। यह अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। आरोप लग रहे हैं कि प्राचार्य सब कुछ जानकर नजरअंदाज करते आये हैं। इसके पीछे कारण क्या है वह भी धीरे-धीरे प्याज के छिलकों की तरह परत दर परत काला चि_ा खुलने वाला है। हालांकि प्राचार्य ने अपनी पीठ थपथपाने की नियत से मिली शिकायत के आधार पर दो सदस्यीय जांच टीम गठित किया है। यह जांच टीम कितनी बेहतर तरीके से जांच करेगी सबको भली-भांति मालूम है आरोप है कि जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की जावेगी।
जब प्राचार्य की खेला किया है तो उन्हीं के अधीनस्थ प्रोफेसर कैसे जांच कर उन पर सवाल उठायेंगे। अब उक्त डिग्री कॉलेजों के निरंतरता संचालन के लिए किये जा रहे सत्यापन करने वाले प्राचार्य के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कराकर कार्रवाई किये जाने की मांग शुरू हो गयी है। कुछ छात्र संगठन इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और उनका मानना है कि प्राचार्य की मिलीभगत से बैढऩ का शिक्षा जगत बदनाम हो रहा है।
छात्रों एवं अभिभावकों को जबरिया प्रवेश के लिए दबाव बनाने का आरोप
शासकीय डिग्री कॉलेज के इर्द-गिर्द एक ऐसा निजी कॉलेज है जहां सुबह से लेकर दोपहर तक कॉलेज में अध्यापन कराने वाले शिक्षक एवं दलाल गेटों पर तैनात हो जाते हैं और उस रास्ते से गुजरने वाले छात्रों एवं अभिभावकों को जबरन बुलाकर कॉलेज के परिसर के अंदर ले जाते हैं और प्रवेश लेने के लिए विवश करने लगते हैं। इस तरह का नजारा यहां पर रोजाना ही अक्सर देखने को मिल जा रहा है। जानकारी यहां तक मिल जा रही है कि अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य को भी जानकारी दी गयी लेकिन वे केवल कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दे रहे हैं। प्राचार्य की इस लापरवाही से आये दिन छात्रों एवं उक्त डिग्री कॉलेज के प्रबंधन के बीच तूतू-मैंमैं की स्थिति निर्मित होती रहती है।