एजेंसी पर मेहरबान नगर निगम,पुराने खंभों को पेंट कराकर दिखाया पूरा
सिंगरौली। शहर के वार्ड 38 आदिवासी मोहल्ला में 27 लाख की लागत से विद्युतीकरण करने की योजना थी। इस कार्य को केके ग्रुप संविदाकार को दिया गया। जनवरी से शुरू हुआ विद्युतीकरण के कार्य को 1 अप्रैल की स्थिति में पूरा करना था। जिसे संविदाकार ने नगर निगम के सांठगांठ से विपरीत काम कर विद्युतीकरण के कार्य को पूरा दिखा दिया। वार्ड पार्षद की शिकायत पर नगर निगम अधिकारियों ने मौके पर जांच की। जहां एजेंसी संचालक की ओर से बड़ी मिली कमियां मिली। मगर संविदाकार के खिलाफ कार्रवाई नहीं होना अधिकारियों की संलिप्तता को दर्शाता है। नगर निगम पिछले डेढ वर्ष से सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया टलती रही। मगर जब पूरी हो गई तो निविदा के जरिए नगर निगम अधिकारियों ने एजेंसी को ठेका दे दिया। यही नहीं एक तरफ पुराने खंभों को पेंट कराकर विद्युतीकरण के कार्य को पूरा दिखाया गया, वहीं दूसरी ओर सफाई के लिए 150 कर्मचारी कागज तक सीमित हैं। विद्युतीकरण के कार्य में एजेंसी की ओर से की गई खानापूर्ति की शिकायत पर अधिकारियों ने मौके पर जांच किया था। इसके बावजूद एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत निगम के अधिकारी नहीं जुटा सके। यह बात और है कि सत्ता की डर से अधिकारी एजेंसी के खिलाफ हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे हैं। वहीं शहर के कई विकास कार्यों की जिम्मेदारी केके ग्रुप को नगर निगम ने सौंप दी है।
सड़क से मवेशियों को हटाने का भी जिम्मा-
नगर निगम अधिकारियों ने केके गुप के संविदाकार पर इतनी मेहरवानी दिखाई है कि शहर के सभी विकास कार्यों को सौंप दिया है। विद्युतीकरण के साथ शहर की सफाई के अलावा सड़क से आवारा मवेशियों को हटाने की जिम्मेदारी भी केके ग्रुप को दिया गया है। मगर एजेंसी की और से सभी कार्यों में खानापूर्ति की जा रही है। अधिकारियों को यह मालूम होने के बाद भी एजेंसी के खिलाफ एक्शन लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। नगर निगम क्षेत्र में साफ-सफाई कराए जाने के लिए आउटसोर्सिंग कंपनी को डेढ़ सौ कर्मचारी मुहैया कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई। साथ ही कर्मचारियों की उपस्थिति बायोमैट्रिक के जरिए दर्ज कराने का निर्देश है। मगर हकीकत यह कि न तो सफाईकर्मी नियुक्त किए गए और न ही बायोमेट्रिक से उपस्थिति दर्ज कराई जा रही है। यही कारण है कि शहर की सफाई व्यवस्था केवल मुख्य मार्ग तक सीमित है।