उफनाई नदी मे देशी नाव के सहारे जोखिम भरा सफर
डेढ़ दशक पूर्व स्वीकृत पुल का नहीं हो पाया निर्माण
सीधी और सिंगरौली जिले के डेढ़ दर्जन गांवों के लोगों का होता है आवागमन
-बाढ़ी नदी में देशी नाव से सामग्री रखकर जोखिम भरा सफर करने को मजबूर ग्रामीण
सीधी। रिस्तेदारियों में जाने के लिए करीब 60 किमी की दूरी का चक्कर न लगाने पड़ा इसलिए लोग जान जोखिम डाल रहे हैं। गोपद नदी की उफनती धार में भी लोग देशी नाव के सहारे बाइक सहित एक दर्जन से अधिक लोग सवार होकर नदी पार करते हैं। नजारा इतना खौफनाक होता है की देखने वालों की सांसे थम जाती हैं। लेकिन नियमित आने जाने वाले लोगों के लिए यह बात आम हो चुकी है। मामला सीधी-सिंगरौली जिले के सीमा से लगे सिहावल विकासखंड के गोपद नदी के लौआर-कोरसर घाट का है। यहां से प्रवाहित होने वाली सीधी सिंगरौली जिले की प्रमुख नदी गोपद दोनों जिलों की सीमा बनाती है। दोनो ही जिलों के सीमावर्ती गांव के लोगों की आपस में रिस्तेदारियां हैं, जहां अक्सर लोगों को आना जाना बना रहता है। मौसम चाहे कोई भी हो, लोगों नाव से ही गोपद नदी पार कर करना मजबूरी बनी हुई है।
नहीं टूटती गोपद नदी की धार:-
जिले की प्रमुख नदियों में शुमार गोपद नदी की कभी धार नहीं टूटती, बारिश के मौसम में तो यह नदी पूरी तरह से उफान पर रहती है। लेकिन मौसम चाहे जो भी लोगों का आवागवन बना रहता है, लोग नाव से ही नदी पार करते हैं, दो पहिया वाहन नाव में रखकर पार कराई जाती है, कई बार तो लोग आलमारी, बक्सा जैसे बड़े सामान भी नाव के सहारे ही पार कराकर इस पार से उस पार ले जाते हैं।
खतरनाक सावित हो सकता है देशी नाव का सफर:-
गोपद नदी के लौआर-कोरसर घाट पर छोटी से बड़ी सामग्री देशी नाव के सहारे पार कराई जाती है, कई बार नाव जल्दवाजी के चक्कर में क्षमता से अधिक लोग भी सवार हो जाते हैं, साथ ही बाइक और गृहस्थी की सामग्री भी लोड कर ली जाती है, ऐसे में बाढ़ी नदी पार करना खतरनाक सावित हो सकता है, इसके बावजूद लोग इसे आदत में शुमार मानते हुए कई सुरक्षा की अनदेखी करते रहते हैं, जो बड़े हादसे की वजह बन सकती है।
इन गावोंं के लोगों का हो रहा आवागवन:-
बताया गया की सीधी जिले के सिहावल तहसील एवं सिंगरौली जिले के चितरंगी तहसील अंतर्गत के करीब एक-एक दर्जन गावों के लोगों का नदी पार कर इस पार, उस पार आना जाना लगभग नियमित दिनचर्या में शामिल है। ऐसे गांवों में लौआर, पिपरा, बारी, कोठार, खुटेली, कुंसेड़ा, बरबंधा, ओदरा, नकझर, देवरी, जमुआर, जेठुला, कोरसर, बर्दी, धानी, मुड़पेली, बरहट आदि गांव शामिल हैं।
वर्ष 2019 में स्वीकृत हुई पुल, अभी पचास फीसदी निर्माण:-
सेतु निर्माण विभाग के अनुसार गोपद नदी के लौआर-कोरसर घाट पर पुल का निर्माण वर्ष 2019 में स्वीकृत हुआ था। इसके बाद पुल निर्माण हेतु सेतु निर्माण विभाग द्वारा लगातार तीन बार आमंत्रित की गई निविदा में किसी संविदाकार द्वारा रूचि नहीं दिखाई गई। चौथी बार की निविदा में टेंडर स्वीकृत हुआ और ग्वालियर के एक निर्माण एजेंसी के साथ 11 अगस्त 2021 को अनुबंद हुआ। पुल के साथ ही अप्रोच मार्ग की लागत करीब 20 करोड़ रुपये है। अनुबंद के अनुसार 16 दिसबंर 2023 तक निर्माण कार्य पूरा करना है, लेकिन अभी तक महज 50 फीसदी निर्माण कार्य ही पूरा हो पाया है।
भू अर्जन की अड़चन के कारण हुई देरी:-
कोरसर की ओर अभी तक भू अर्जन का कार्य नहीं हो पाया है, जिसके कारण उस पार निर्माण कार्य प्रभावित है। संविदाकार द्वारा तेजी से कार्य किया गया है, 18 पियर में 16 का निर्माण हो चुका है। 18 स्लेप में चार पूरे हो चुके हैं। हमारा प्रयास है कि पुल का निर्माण जुलाई 2024 तक पूरा हो जाए।